आयाम.नई गैस प्राइसिंग नहीं लागू होने की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार को आर्बिट्रेशन नोटिस भेजा है। ब्रिटिश पेट्रोलियम और नीको ने भी नोटिस भेजा है। चुनाव आयोग के मुताबिक आचार संहिता को देखते हुए गैस के दाम बढ़ाने का फैसला नई सरकार करेगी। हालांकि, पहले ही पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने संकेत दे चुके हैं कि चुनाव खत्म होते ही गैस की नई कीमतों का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा।
1 अप्रैल 2014 से गैस की कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़कर 8.4 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होनी थी। नई गैस प्राइसिंग को पिछले साल जून ने कैबिनेट कमेटी ने मंजूरी दी थी। सरकार ने इस साल जनवरी में गैस की नई कीमत पर नोटिफिकेशन जारी किया था।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के वकील हरीश साल्वे का कहना है कि कंपनी चुनाव का इंतजार नहीं कर सकती है। कंपनी को उसके अपने हित की चिंता है। ऐसे माहौल में कारोबार करना संभव नहीं है। हरीश साल्वे के मुताबिक सरकार के पास आर्बिट्रेटर नियुक्त करने के लिए 90 दिन का वक्त है। या फिर सरकार फैसला करे कि जो ट्राइब्यूशन इस कॉन्ट्रैक्ट पर विचार कर रहा उसी को ये मसला भी सौंपा जाए। आर्बिट्रेशन के जरिए 6-8 महीनों में इस मामले का हल निकलने की उम्मीद है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज का कहना है कि नई गैस कीमत लागू न होने से इस साल 4 अरब डॉलर का निवेश रुका है। कंपनी की केजी-डी6 में 8-10 अरब डॉलर निवेश करने की योजना है। ब्रिटिश पेट्रोलियम ने उम्मीद जताई है कि ये मामला जल्द सुलझेगा और कहा है कि कंपनी मौजूदा कुंओं से गैस निकालने के लिए प्रतिबद्ध है।
रिस्क कैपिटल एडवाइजर्स के चेयरमैन और सीईओ, डी डी शर्मा का कहना है कि नोटिस के जरिए रिलायंस इंडस्ट्रीज में सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है। कंपनी चाहती है कि नई गैस की कीमत जल्द से जल्द लागू की जाए। चुनावों की वजह से नई गैस प्राइसिंग टली है और रिलायंस इंडस्ट्रीज चाहती है कि नई सरकार आने के पहले इसे लागू किया जाए। अगर 12 मई को गैस महंगी हो जाए तो आर्बिट्रेशन का मतलब नहीं रह जाएगा।
ऑयल एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज के इस कदम से मामला और पेचीदा हो जाएगा। मामला पहले ही कोर्ट में है। नई गैस प्राइसिंग को मंजूरी मिलने के बावजूद सरकार ने इसे लागू करने में वक्त लगाया। चुनाव की वजह से ये मुद्दा राजनैतिक बन गया है। अब बाकी कंपनियों का रवैया भी देखना होगा। वहीं, सरकारी नीतियों की वजह से ऑयल एंड गैस सेक्टर दिक्कत में है और कई विदेशी कंपनियां देश से बाहर निकल गई हैं।