सीबीआई में दो अफसरों के आपसी आरोप-प्रत्यारोप की जंग अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और केंद्रीय मंत्री तक पहुंच गई है। सीबीआई में डीआईजी के पद पर तैनात अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने न केवल अपने तबादले को चुनौती दी है बल्कि सीबीआई में सरकार के दखल को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सीबीआई अधिकारी सिन्हा मीट निर्यातक मोइन कुरैशी मामले में अस्थाना द्वारा ली गई 2.95 करोड़ रुपये की घूस की जांच कर रहे थे। उनका आरोप है कि इस जांच में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने दो बार तलाशी अभियान रोकने के निर्देश दिए थे। अस्थाना की शिकायत करने वाले हैदराबाद के व्यवसायी सतीश बाबू सना ने उन्हें बताया था कि गुजरात से सांसद और मौजूदा कोयला और खनन राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी को कुछ करोड़ रुपये की घूस दी गई थी।
सिन्हा ने इस मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि अस्थाना की मदद करने के लिए उनका नागपुर तबादला किया गया है। सिन्हा के वकील ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उनके पास कुछ ऐसे सबूत हैं जो आपको चौंका देंगे। जिसके जवाब में न्यायालय ने कहा कि हमें कुछ नहीं चौंकाता है। न्यायालय ने उनकी अर्जी पर तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। हालांकि न्यायालय ने कहा है कि याचिकाकर्ता सीबीआई निदेशक मामले में मंगलवार को होने वाली सुनवाई के दौरान मौजूद रहें।
सिन्हा ने आरोप लगाए हैं कि 17 अक्तूबर को जब राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में एफआईआर की बात एनएसए को पता चली तो उन्होंने इस बारे में अस्थाना से बात की। अस्थाना ने एनएसए को खुद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए कहा। इसके बाद 20 अक्तूबर को जब अस्थाना की टीम के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की गई तो सीबीआई निदेशक ने एनएसए के निर्देश पर जांच रोकने के लिए कहा।
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सीबीआई अधिकारी के आरोप ‘आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण’ : हरिभाई चौधरी
वहीं केन्द्रीय कोयला राज्य मंत्री हरिभाई पी चौधरी ने सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी एम के सिन्हा द्वारा उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों को ‘‘आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण’’ बताया तथा कहा कि यदि ये आरोप साबित हो जाते है तो वह राजनीति छोड़ देंगे।
उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में सिन्हा ने आरोप लगाया कि हैदराबाद के एक व्यवसायी सतीश बाबू सना, जो अस्थाना के खिलाफ मामले में शिकायतकर्ता है, ने पूछताछ के दौरान बताया कि जून 2018 के पहले पखवाड़े में केन्द्रीय मंत्री को कुछ करोड़ रुपये दिये गये थे। केन्द्रीय मंत्री ने एक बयान में कहा कि वह व्यवसायी को नहीं जानते है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ बिल्कुल झूठे और आधारहीन आरोप लगाए गए हैं। मैं न तो सतीश बाबू सना को जानता हूं, और न ही मैं उससे मिला हूं…।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आज विभिन्न मीडिया रिपोर्टों से पता चला कि माननीय उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया गया है जिसमें इस मामले का उल्लेख किया गया है। मैं मेरी छवि को धूमिल करने के इस दुर्भावनापूर्ण प्रयास की निंदा करता हूं। मैं इस मामले में किसी भी जांच का स्वागत करूंगा और कानून को अपना काम करना चाहिए। यदि मैं दोषी साबित हो जाता हूं तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।