पांचवें दौर की बैठक जारी, MSP और मंडी पर लिखित आश्वासन दे सकती है सरकार
कृषि कानूनों को लेकर पिछले 9 दिनों से धरने पर बैठे किसानों के साथ केंद्र सरकार की शनिवार को पांचवे दौर की बातचीत जारी है. दिल्ली के विज्ञान भवन में 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ हो रही इस बातचीत के लिए केंद्र की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश मौजूद हैं. पांचवें दौर की बातचीत से आज इस मुद्दे के समाधान को लेकर सभी आशांवित है.
लेकिन टी ब्रेक तक किसान संगठनों और सरकार के बीच किसी भी तरह की कोई सुलह होती नहीं दिख रही है. अब इस बैठक का सबसे निर्णायक चरण जारी है. हो सकता है इस फेस में सरकार कोई निर्णय ले ले. बैठक में कृषि मंत्रालय ने गुरुवार को चौथे दौर की वार्ता के दौरान सरकार के समक्ष पेश किए गए 39 बिंदुओं को चर्चा के लिए टेबल किया है. इन बिंदुओं को गुरुवार को चौथे दौर की बातचीत के दौरान किसानों ने उठाया था. सरकार ने कहा था किसानों की शिकायतों पर सरकार विचार कर सकती है, संशोधन कर सकती है. लेकिन किसानों ने इससे इनकार कर दिया था.
किसान यूनियन के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया, “अभी तक कुछ नया नहीं है, पुरानी ही बाते कर रहे हैं मंत्री, टी ब्रेक के बाद शायद सरकार अपने पत्ते खोले…”
ऑल इंडिया किसान सभा के बालकरण सिंह बरार ने कहा, “सरकार ने संशोधन का जो प्रस्ताव रखा था उसको हम नहीं मानेंगे. हम ये तीनों कानून वापस कराएंगे और हमारी आठ मांगे हैं उन्हें पूरा कराएंगे फिर आंदोलन वापस लेंगे. ये तीनों कानून खेती को पूजीवादियों को सौंपने की तैयारी है.”
इससे पहले लंच ब्रेक तक भी किसान संगठन और केंद्र सरकार के बीच किसी भी तरह की सहमति बनती नहीं दिखी. आज एक बार फिर किसान नेताओं ने सरकार का खाना नहीं खाया. उन्होंने गुरुद्वारे से आए लंगर का खाना ही खाया.
सरकार जहां एक तरफ किसानों की बिल जुड़ी कुछ आपत्तियों पर संशोधन करने पर विचार करती दिखी वहीं किसान नेता पहले ही साफ कर चुके थे कि जब तक केंद्र सरकार अपने नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तब तक किसानों का ये आंदोलन जारी रहेगा.
5वें राउंड की बैठक में किसान प्रतिनिधियों ने सरकार से पिछली बैठक में उठाए गए मुद्दों पर लिखित जवाब मांगा है. किसान नेताओं का कहना है कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, कानून में संशोधन का प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है. सरकार को संसद का सत्र बुलाकर कानून रद्द करना होगा. जब तक संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों नए कानून रद्द नहीं किए जाते किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.