कोलकाता| शारदा स्कैम में सशर्त जमानत पर रिहा होने के एक दिन बाद तृणमूल कांग्रेस सांसद सृंजॉय बोस ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। पिछले साल 21 नवंबर को शारदा स्कैम मामले में सीबीआई के स्पेशल क्राइम ब्रांच ने बोस को अरेस्ट किया था। सृंजॉय को कोर्ट ने तीन शर्तों पर बेल दी है। पहली शर्त है कि वह देश से बाहर नहीं जा सकते, गवाहों को धमकी नहीं देंगे और वह सीबीआई के समन पर तत्काल हाजिर होंगे।
सीबीआई ने घोषणा की है कि उसे जमानत की कॉपी जैसे ही मिलती है वह अलीपुर डिस्ट्रिक्ट सेशन जज की तरफ से बोस को मिली बेल को चुनौती देगी। प्रभावी बिजनस मैन और प्रदेश में सत्ताधारी टीएमसी से राज्यसभा सांसद सृंजॉय बोस को करोड़ों रुपए के शारदा पोंजी स्कैम में सीबीआई ने संलिप्तता के आरोप में अरेस्ट किया था।
बोस पर इस मामले में धोखाधड़ी, भरोसे को तोड़ने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। सीबीआई ने बोस से 6 घंटे लंबी पूछताछ की थी। पूछताछ के दौरान बोस ने कई असंगत जबाव दिए थे। इसके बाद वह इस मामले में और संदिग्ध हो गए थे।
इन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। गुरुवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा, ‘मैं यह बताना चाहता हूं कि राज्यसभा की सदस्यता से मैंने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा देने का फैसला किया है।’ तृणमूल के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ और बांग्ला समाचारपत्र ‘संबाद प्रतिदिन’ के संपादक बोस ने कहा कि हिरासत के दिनों में मुझे यह बात समझ में आई कि राजनीति मेरे वश की बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह फैसला लेने के पीछे उनके परिवार का भी दबाव था। उनके मुताबिक, ‘हिरासत के दिनों में मुझे आखिरकार यह अहसास हुआ कि राजनीति मेरे वश की बात नहीं है। मेरे परिवार का भी मुझ पर दबाव था, खासकर मेरी पत्नी और मां का, जिनकी वजह से मैंने यह फैसला लिया।’ बोस ने हालांकि तृणमूल प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सांसद बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं उन लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जिन्होंने कठिन समय में मेरे परिवार का साथ दिया।’