सिंहस्थ महाकुंभ क्षिप्रा तट उज्जयिनी एक नए आयाम के साथ संपन्न होने जा रहा हे, लोग जुटते चले कारवाँ बनता गया की तर्ज पर विश्व का सबसे बड़ा महा आयोजन , जिसमे कि भी लोग युगो योगो से , दुनिया भर से स्व् स्फूर्ति से आते रहे हे , का एक अत्याधुनिक हाईटेक स्वर्णिम इतिहास लिखने जा रहा हे,
संभवतः यह विश्व सभ्यता का अबतक का सबसे बड़ा मानव जमावड़ा भी हे, मानव शाश्त्री समाज विज्ञानी भी इसका अपने दृष्टिकोण से शोध अध्धयन करेंगे, इतिहास वेत्ता इसका मूल्यांकन अपने तरह से करेंगे, उज्जयिनी वासी का और विदेशी दोनों के अपने नजरिये हे, प्रबंध और प्रशासन के इतिहास में मानव सभ्यता का अब तक का सवार्धिक चुनोतिपूर्ण दायित्व हे,
विश्व के टॉप प्रोफेशनल टेक्नोक्रैट भी इतनी बड़ी मेगा इवेंट का प्रबंधन का अनुभव सामर्थ्य नहीं रखते वो कार्य हमारे नेतृत्व प्रशासन ने कर दिखाया।
इसकी लगातार पैनी समीक्षा समुदाय द्वारा की गयी, इसकी सफलता लोकतांत्रिक अवधारणा का भी परीक्षण हे, प्रत्येक बिंदु कार्य में जनमानस सीधा जुड़ा रहा, लोगो ने लगातार इसकी गतिविधियों में संव्यवहार रखा, इसकी विष्यवास्तू का कोई और उदाहरण नहीं होने से हर मानदंड का मूल्यांकन केवल खुद उसी के अपने माप से ही हो सकता हे, चुनोती को मशीनरी ने मिशनरी मोड पर पूरा किया,
जिसने जिस तरह भी सिंहस्थ मनाया या जिया वो विस्मर्णीय है, सभी ने अपनी भूमिका निवाही ही, कौन ऊपर गया कोन नीचे गया , ये सव समय की धारा में विलीन हो जाता हे, जो शेष रहता हे वो हे अमृतत्व संसार को सनातन धर्म का मानवता के कल्याण का सन्देश,
दूर दूर तक बस और बस मानव ही मानव अनगिनत अनवरत सनातन धर्मावलम्बी श्रद्धालु भक्त जन क्षिप्रा में अमृत स्नान, महाकाल दर्शन, उज्जयिनी की भूमि को नमन करने आया हे , उसके शिव तत्व को शत शत् नमन,
अमृत मंथन के महापर्व पर होने जा रही दिव्य पूर्णाहुति की अकल्पनीय सफलता की मंगलकामनाये,जय महाकाल