उज्जैन 21 मई। 21 मई 2016 वैशाख पूर्णिमा, दिन शनिवार को सदी के द्वितीय सिंहस्थ कुंभ महापर्व के अंतिम शाही स्नान का नजारा अद्भूत, अलौकिक और अकल्पनीय था। आस्था का सैलाब चरम पर रहा।
करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पुण्य सलिला मोक्षदायिनी मां शिप्रा में अमृत स्नान करने के लिए भूत-भावन भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन पहुंचे।यह सिलसिला अनवरत जारी है।
भक्ति से लबरेज श्रद्धालु जय-जय महाकाल के जयकारों के साथ सप्तपुरी अवंतिका नगरी में चारों दिशाओं से आने वाले श्रद्धालु शिप्रा तट पर स्नान के लिए आतुर नजर आ रहे हैं।
सनातन धर्म व विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में ऐसा पहली बार हुआ कि शैव और वैष्णव सम्प्रदाय ने एक ही समय पर पुण्य सलिला मां शिप्रा में अमृत स्नान किया।
आज से पूर्व सिंहस्थ, कुंभ व अर्द्ध कुंभ में ऐसा नजारा देखने में नहीं आया जो बाबा महाकाल की वन भूमि पर देखा गया।वैशाख पूर्णिमा का गौरवशाली यह दिन युगों-युगों तक सनातन धर्म प्रेमी जनता की नजरों में अमीट रहेगा।
सिंहस्थ महापर्व के अंतिम शाही स्नान में हजारों साधु-संतों का उज्जैन के दत्त अखाड़ा घाट एवं रामघाट सहित विभिन्न घटों पर रात्रि 3 बजे से व्यवस्थित तरीके से निर्धारित समय पर आगमन शुरू हुआ। विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत बड़ी धूमधाम से अपने-अपने अखाड़ों से घोड़ा-हाथी तथा बैण्ड-बाजों के साथ रथ पर सवार होकर क्षिप्रा के रामघाट एवं दत्त अखाड़ा घाट तटों पर पहुंचे और उन्होंने अमृत स्नान कर पूण्य लाभ प्राप्त किया।
दत्त अखाड़ा एवं क्षिप्रा का तट रात्रि में भी दिन की तरह चमचमाता हुआ दिखाई दिया। रास्ते में लाखों श्रद्धालु ने साधु-संतों को देखने हेतु टकटकी लगाये रहे और सामने से गुजरते ही उनका अभिवादन किया। अखाड़े के महंतों ने भी श्रद्धालुओं का हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया।
सिंहस्थ महापर्व के अंतिम शाही स्नान के दौरान साधु-संतों के अमृत स्नान के पश्चात देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने दत्त अखाड़ा, रामघाट सहित विभिन्न घाटों में आस्था एवं विश्वास की डुबकी लगायी। महाकाल की नगरी उज्जैन का नजारा विश्व के सबसे बड़े समारोह जैसा दिखाई दिया।
तटों पर साधु-संतों एवं उनके अनुयायिओं द्वारा शस्त्र कलाओं का प्रदर्शन कर सभी को अचंभित किया। प्रशासन द्वारा निर्धारित किये गये समय के अनुरूप अखाड़े के समस्त साधु-संतों ने शाही स्नान किया एवं नाचते गाते हुये अपने मुकाम की ओर रवाना हुये। उस समय का दृश्य श्रद्धालुओं के लिये यादगार क्षण बना।
प्रशासन द्वारा व्यवस्था चाकचौबंद रखने का प्रयास किया, साधु-संतों को अधिक कठिनाई नहीं हुई। असहाय, दिव्यांग, बुजुर्गों को कंधा देते हुये श्रद्धाभाव से अमृत स्नान कराने में श्रद्धालुओं ने सहारा दिया। भीड़ प्रबंधन व परिवहन व्यवस्था में पुलिस असहाय दिखी , मेला और बाहरी मार्ग छह लेंन और सर्विस रोड की भारी कमी दिखी.
अत्याधुनिक सुविधासंपन्न सिंहस्थ महाकुम्भ के योजनाकार मार्गदर्शक और क्रियांवनकर्ता अधिकारी संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर ने अंतिम शाही स्नान के बाद जानकारी देते हुए बताया कि उज्जैन की नगरी को गद गद कर देने वाले इस क्षण में करोड़ों श्रद्धालुओं ने सफलतापूर्वक मनोकामनायुक्त अमृत स्नान का लाभ लिया।